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Qayamat Kab Ayegi | Qayamat Ka Bayan | Hadees Sanan Ibn Maja No.4075 | In Hindi | In Urdu | In English

Qayamat Kab Ayegi | Qayamat Ka Bayan | Hadees Sanan Ibn Maja  No.4075 | In Hindi | In Urdu | In English حَدَّثَنَا هِشَامُ بْنُ عَ...

Sunday, March 22, 2020


#Covid-19 or #Corona Virus in Islam  कोविड -19 या कोरोना वायरस के मुताल्लिक क्या अहकाम है

अस्सलाम अलैकुम नाज़रीन
 मैं आपका होस्ट मुहम्मद हुसैन खान आपका खैर मकदम करता हूँ अपने इस ब्लॉग  इस्लामिक वंडर्स में

#Covid-19 or #Corona Virus in Islam  कोविड -19 या कोरोना वायरस के मुताल्लिक क्या अहकाम है

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नाज़रीन जैसा  की आप सब जानते हैं इस वक़्त सारी दुनिया में एक वबा फैली हैं, जिसे हम कोविद-१९  या कोरोना वाइरस के नाम से जानते हैं, साारी  दुनिया में इससे लड़ने की क़वाइद बहोत हंगामी तौर पर ज़ारी व सारी। और हर दिन इसके नय मरीज़ों की पहचान बढ़ती ही जारही है जिस साड़ी दुनिया में हड़कंप मच चूका है
दोस्तों इसीलिए हमने सोचा क्यू न हदीसों का मुतल्ला कर अपने भाइयों और तमाम उम्मत के लिए इस मुश्किल घडी में कुछ राहें हमवार की जाएँ तो।आज का हमारा टॉपिक है की इस्लाम में कोविड  -19  या कोरोना वायरस के मुताल्लिक क्या अहकाम है और हमे इस्लामी नुक्ते नज़र से क्या काम सर अंजाम देने चाहिए 
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नाज़रीन जैसा  की आप सब जानते हैं इस वक़्त सारी दुनिया में एक वबा फैली हैं, जिसे हम कोविद-१९  या कोरोना वाइरस के नाम से जानते हैं,


नाज़रीन अगर वोर्ल्डोमेटेर वेबसाइट की माने तो इस वबा से ब्लॉग लिखे जाने तक  तक 308,547 लोग  इस बीमारी की चपेट में आचुके है जिसमे 13069  लोगो की मौतें वाक़ई होगई है जबकि 95829  लोग अभी तक इस बीमारी से इलाज की वजह ठीक भी हो चुके हैं , हालाँकि  सीरयस कंडीशन में 9943  लोग हैं जोकि सिर्फ 5 % होता है।  मगर ये आकड़ा अभी और बढ़ सकता है।  अगर आपको इस की डिटेल्स में मालूमात चाहिए तो आप डिस्क्रिप्शन में इस वेब साइट का लिंक दिया है आप वह से देख सकते हैं। 

https://www.worldometers.info/coronavirus/
https://www.worldometers.info/coronavirus/#countries

खैर आईये नाज़रीन अपने मक़सद की तरफ बढ़ते है , नाज़रीन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का हम पे अज़ींम  अहसान किया है की उसने हम मोमिन पैदा किया और हमे इस्लाम जैसी नेमत से नवाज़ा और मोहम्मद मुस्तफा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम जैसे प्यारे महबूब से नवाज़ा जो सारी काएनात के लिए सरापा रहमत बनकर तशरीफ़ लाए। जिन्होंने ने सिर्फ मोमिन के लिए ही नहीं सारे नस ले आदम के लिए अपनी पेंशन गोइयाँ आम की जिसे हम हदीसे नबवी के नाम से जानते हैं 
और मुस्तफ़ीज़ होते हैं ये बात अलग है की गैर मुस्लिम आपकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते मगर हाँ उनमे जो बहोत दानिश्वर लोग हैं वो भी इस बात को तस्लीम करते हैं की दुनिया में अगर कोई ऐसी शखसियत है जिसकी बातों पर आँख बंद करके भरोसा करसके तो वो ज़ात अल्लाह के बाद सिर्फ और सिर्फ मेरे और आप सब के प्यारे आका मोहम्मद मुस्तफा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ही की ज़ात है बस। 

नाज़रीन इस्लामी नुक्ते नज़र से इस वबा का जायज़ा लेना है तो हमे सब से पहले इस वबा इस्लामी डेफिनेशन जाननी होगी। 


और आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम की हदीस है की क़यामत उस वक़्त तक नाज़िल न होगी। जब तक तुम ऐसे हवादिस और वक़यात का मुशाहेदा न करलो जो तुमने इससे पहले कभी न  देखे हो.और इस हदीस शरीफ में एक लफ्ज़ है मुतान जिस से ताऊन लफ्ज़ बना है। जिसका मतलब है की मौत बहोत ज़्यादा वाक़ई होगी जिस तरह किसी भी आम खतरनाक वबा से होती है और लोग हज़ारों लाखों की तादाद में दारुल फनी छोड़ देते हैं।  
नाज़रीन इस क़िस्म की वबा को इस्लाम में ताऊन का नाम दिया गया है,या यूँ कहिये की इसे ताऊन कहते हैं। 
#Covid-19 or #Corona Virus in Islam  कोविड -19 या कोरोना वायरस के मुताल्लिक क्या अहकाम है

कहा जाता है की ये अलामत ताऊन ए  अमवास्  की शकल ज़ाहिर होचुके हैं. ताऊन ऐसी वबा को कहते है जो किसी बीमारी की शक्ल में जिस्म पर ज़ाहिर होती है और हद दर्जे का मुतादि और मौलिक है जिस बचना बहोत ही मुश्किल होजाता है। 

 हज़रात औफ बिन मालिक से रिवायत है की आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फर्माया की क़ुर्बे क़यामत से पहले ६ बिमारियों का शुमार करलेना और आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम उनमे से मुतान कोआसिलगानंम यानि वबाई अमराज़ से कसरत से मौतें होने का ज़िक्र भी फ़रमाया है। 

जैसे जानवरों में अगर कोई बीमारी फ़ैल जाय तो रेवड़ के रेवड़ फ़ना होजाते है बिलकुल इसी तरह ऐसी वबा इंसानो की भी बहोत कसरत से मौतें वाक़ई होती हैं। 

और ये कोई पहली बार नहीं हैं आजसे १४०० साल पहले अमीरुल मोमिनीन हज़रात उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाह ताला अन्हो के दौर ए खिलाफत में पेश आया ,दर असल   फ़तेह बैतूल मुक़द्दस के बाद सं १८ हिजरी में मुल्के शाम में ताऊन फ़ैल गया। और एक बहोत बड़ी तादाद में जानो का नुक्सान हुआ। यहाँ तक की २५००० से ज़ायेद मोमिन भी इसमें दारुल बक़ा  की तरफ कुछ करगए। 
जिसमे बहोत तादाद में जलील ओ क़द्र सहाबाए करम भी शामिल थें।  

 
बुखारी शरीफ की हदीस  की हज़रात उसमा बिन ज़ैद ने रिवायत है की आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम से पुछा गया की तो आपने फ़रमाया की ताऊन एक अज़ाब है जो पहले बानी इसराइल के एक गिरोह पर भेजा गया था या आपने ये इरशाद फ़रमाया के गुज़िश्ता उम्मत पे भेजा गया था। 
इसलिए जब तुम सुनो की कही ताऊन फ़ैल चूका हो तो उस जगह न जाओ ,  लेकिन किसी ऐसी जगह ताऊन फ़ैल जाए जहा तुम पहले ही से मौजूद हो तो वहाँ से ना निकलो , अबू नज़र ने कहा यानि भागने की आलावा और कोई रास्ता न हो तो मत निकलो। 
Sahih Bukhari Hadees # 3473

حَدَّثَنَا عَبْدُ الْعَزِيزِ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ ، قَالَ : حَدَّثَنِي مَالِكٌ ، عَنْ مُحَمَّدِ بْنِ الْمُنْكَدِرِ ، وَعَنْ أَبِي النَّضْرِ مَوْلَى عُمَرَ بْنِ عُبَيْدِ اللَّهِ ، عَنْ عَامِرِ بْنِ سَعْدِ بْنِ أَبِي وَقَّاصٍ ، عَنْ أَبِيهِ ، أَنَّهُ سَمِعَهُ يَسْأَلُ أُسَامَةَ بْنَ زَيْدٍ مَاذَا سَمِعْتَ مِنْ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي الطَّاعُونِ ، فَقَالَ : أُسَامَةُ ، قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ :    الطَّاعُونُ رِجْسٌ أُرْسِلَ عَلَى طَائِفَةٍ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَوْ عَلَى مَنْ كَانَ قَبْلَكُمْ فَإِذَا سَمِعْتُمْ بِهِ بِأَرْضٍ فَلَا تَقْدَمُوا عَلَيْهِ وَإِذَا وَقَعَ بِأَرْضٍ وَأَنْتُمْ بِهَا فَلَا تَخْرُجُوا فِرَارًا مِنْهُ ، قَالَ أَبُو النَّضْرِ : لَا يُخْرِجْكُمْ إِلَّا فِرَارًا مِنْهُ    .

 طاعون کے بارے میں آپ نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے کیا سنا ہے؟ انہوں نے کہا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ طاعون ایک عذاب ہے جو پہلے بنی اسرائیل کے ایک گروہ پر بھیجا گیا تھا یا آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے یہ فرمایا کہ ایک گزشتہ امت پر بھیجا گیا تھا۔ اس لیے جب کسی جگہ کے متعلق تم سنو  ( کہ وہاں طاعون پھیلا ہوا ہے )  تو وہاں نہ جاؤ۔ لیکن اگر کسی ایسی جگہ یہ وبا پھیل جائے جہاں تم پہلے سے موجود ہو تو وہاں سے مت نکلو۔ ابوالنضر نے کہا یعنی بھاگنے کے سوا اور کوئی غرض نہ ہو تو مت نکلو۔ 

इसी तरह उम्मुल मोमेनीन हज़रात आयेशा सिद्दीक़ा राजिल्लाहो ताला अन्हुमा से रिवायत है की जब मैंने ताऊन के बारे में आपसे पुछा तो आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ताऊन एक अज़ाब है अल्लाह जिस पैर चाहता भेजता है लेकिन मोमिनो के लिए उसे रहमत बना दिया है। अगर किसी मोमिन की बस्ती में ताऊन फ़ैल जाए और वो सब्र के साथ अल्लाह की रहमत पर भरोसा रक्खे वही ठहरा रहे इस उम्मीद में की होगा वही जो अल्लाह ने उसकी क़िस्मत में लिखा है। और अगर वो उस बीमारी की वजह से फौत होजाय तो इंशा अल्लाह उसे शहीद के बराबर सवाब अता किया जायगा। 
 Sahih Bukhari Hadees # 3474

حَدَّثَنَا مُوسَى بْنُ إِسْمَاعِيلَ ، حَدَّثَنَا دَاوُدُ بْنُ أَبِي الْفُرَاتِ ، حَدَّثَنَا عَبْدُ اللَّهِ بْنُ بُرَيْدَةَ ، عَنْ يَحْيَى بْنِ يَعْمَرَ ، عَنْ عَائِشَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا زَوْجِ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ ، قَالَتْ :    سَأَلْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَنِ الطَّاعُونِ فَأَخْبَرَنِي أَنَّهُ عَذَابٌ يَبْعَثُهُ اللَّهُ عَلَى مَنْ يَشَاءُ ، وَأَنَّ اللَّهَ جَعَلَهُ رَحْمَةً لِلْمُؤْمِنِينَ لَيْسَ مِنْ أَحَدٍ يَقَعُ الطَّاعُونُ فَيَمْكُثُ فِي بَلَدِهِ صَابِرًا مُحْتَسِبًا يَعْلَمُ أَنَّهُ لَا يُصِيبُهُ إِلَّا مَا كَتَبَ اللَّهُ لَهُ إِلَّا كَانَ لَهُ مِثْلُ أَجْرِ شَهِيدٍ    .

 میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے طاعون کے بارے میں پوچھا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ یہ ایک عذاب ہے، اللہ تعالیٰ جس پر چاہتا ہے بھیجتا ہے لیکن اللہ تعالیٰ نے اس کو مومنوں کے لیے رحمت بنا دیا ہے۔ اگر کسی شخص کی بستی میں طاعون پھیل جائے اور وہ صبر کے ساتھ اللہ کی رحمت سے امید لگائے ہوئے وہیں ٹھہرا رہے کہ ہو گا وہی جو اللہ تعالیٰ نے قسمت میں لکھا ہے تو اسے شہید کے برابر ثواب ملے گا۔ 

नाज़रीन इन अहादीस की रोशनी में एक बात तो वाज़ेह होगई चाहे कैसी भी वबा हो हमे साबित क़दमी से काम लेना है और दूसरी सारी तदबीरों के साथ साथ अस्तगफार की कसरत करनी है अल्लाह की ज़ात से रहम की उम्मीद रखनी चाहिए। 
नाज़रीन अब हम ज़रा क़ुरआन पर नज़र डालें की ऐसी वबा आखिर क्यू नाज़िल होती है तो रब इरशाद फर्माता है 


इससे ये बात भी साफ़ होगई के जब भी अल्लाह की नाफ़रमानियां बढ़ेगी उसके रसूल स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम इताअत छोड़कर हम बातिल के पैरोकार बनेगे ज़ालिमों के ज़ुल्म अपनी इन्तहा को पहुंचेगे और हम दीन से दुरी इख़्तेयार करलेंगे तब तब ऐसी परेशानियों से हमे जून्झना पड़ेगा 
नाज़रीन ये तो अल्लाह का हम पे ख़ास अहसान है की हमे ऐसी छोटी छोटी तकलीफ़ें देकर वॉर्निंग देरहा है जो बज़ाहिर हमे बहोत बड़ी मालूम होती जो असल में छोटी परेशानी है बा क़द्रे पुराणी उम्मतों पर जो अज़ाब नाज़िल हुए। 
#Covid-19 or #Corona Virus in Islam  कोविड -19 या कोरोना वायरस के मुताल्लिक क्या अहकाम है

आज हम अपने गर्द ओ नवा का जायज़ा ले तो हमने पुराणी उम्मतों काम कोई कसार न छोड़ी अल्लाह और उसके रसूल को नाराज़ करने की , सुन्नतें तो छोड़ो हमें फ़र्ज़  को दरकिनार करदिया , नमाज़ें छोड़ दी , अहकाम इलाही भूल गए ,अपने अख़लाक़ भूल गए , दुनिया को आख़ेरत पर तर्जहिं दी , ज़िन्दगी के तालाब गर होगये अल्लाह की जगह मौत से डरने लगे। इसलिए रब ने फिर अपना वडा निभाया , और फिर हम पर जाबिर सल्तनतें मुसल्लत करदी जो हम पर ज़ुल्मो सितम की इंतेह भी नहीं छोड़ रहे हैं , बेशक अल्लाह का वादा सच्चा है। 

और जब उस कौम ने उन्ही उम्मते मुस्लिम पर ज़ुल्म करने शुरू किया।  तो फिर उसी रब ने जो अपने हर बन्दों को ७० माँ से ज़्यदा मोहब्बत करता है अपनी एक बहोत छोटी सी तख़लीक़ से नाच नचा दिया। क्या आपने देखा नहीं की चीन ने मुसलमानो के साथ क्या किया बेशक मेरे रब को तो बदला लेना ही था।  उसका बदला बड़ा खतरनाक है। उसे कोई नुक्लेअर की ज़रुरुआत नहीं वो ऐसा क़ादिर है की एक इतनी छोटी मख्लूक़ जो दिखाई भी ना उससे ही सारी दुनिया को हिलके रख डाला।
हालंकि जैसे मैंने पहले बयां किया की इसमें इम्मान वाले भी तकलीफ झेलते हैं मगर सिर्फ अपने किये कर्मो आमाल की वजह से आखिर में उनके लिए अल्लाह की रहमत भी है। 

तो मेरे भाइयों ध्यान रक्खो हमे दूसरी तदबीरों के साथ साथ ईमान का दमन भी मज़बूती से पकडे रखने है , नमाज़ों को क़ायम करना है सुन्नतों पे अमल करना और अल्लाह से हर हाल में अस्तगफार करना है वरना कितनी भी दवाइयां बनालो कितनी वैक्सीन बनालो अगर वो चाहे तो सब धरी की धरी रहे जाए. और दुनिया तड़प तड़प के अपनी हस्ती को मिट ते देखे जैसे पहेली उम्मतों को साथ होचुका है। 

जाते जाते सिर्फ इतना और कहना चाहूँगा  की नाज़रीन नमाज़े क़ायम करो क्यू की एक वाहिद नमाज़ ही ऐसा जरिया है जो हमे दींन के क़रीब कर सकती है और अललाह के अज़ाब से बचा सकती है।  और इस कोविद १९ या कोरोना वायरस का इतना टेंशन न ले हाँ अपनी तदबीरन यानि इलाज भी जारी रखें क्यू की आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नत है और अल्लाह पर भरोसा रखे क्यू की अल्लाह फरमाता है 
कुल्लू मन लइहा फान....... यानि सब ही फ़ना होने वाला है तो कोई चीज़ परमानेंट नहीं है तो ये भी अल्लाह के फ़ज़ल से चला ही जायेगा इंशा अल्लाह बस ये दुआ का विरद भी रखे 
दुआ 


दुआ में याद रखें और अपने गर्द ओ  नवा के लोगो को ख़ास ध्यान रखे चाहे वो किसी भी मज़हब के हो उनकी मदद करें चाहे वो जैसे भी येहि हमारा दींन इस्लाम है.


नाज़रीन फिर मिलते हैं एक नए टॉपिक के साथ अल्लाह हाफिज


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