بِسۡمِ اللّٰہِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِیۡمِ
السلام علیکم
दोस्तों
क्या आपको पता है
की ऐसा इंसान जो यतीम था आँखों
में नुक़्स था और साथ ही गुलाम था और जिसका कोई खरीदार भी ना था, एक इंसान जो
इस दुनिया में जनम ना
लेता तो शायद आज
दुनिया में मुसलमान ना
के बराबर होते या शायद
होते ही नहीं।
जी हाँ दोस्तों मैं
बात कर रहा हूँ
मम्लूकी सल्तनत के चौथे सुल्तान रुकनुद्दीन
बाइबर्स की ये ही
वो इंसान है जिसे अल्लाह
ने १२वी सदी में
मुसलमानो और इस्लाम की
हिफाज़त के लिए चुना
था। अगर ये ना
होते तो शायद मंगोल
और रूमी मिलकर मुसलमानो को ख़त्म कर
चुके होते। और बाग्दाद् ख्वारज़म
को बर्बाद करने के साथ
साथ ये नापाक ताक़तें
मदीना और मक्का तक
पहुंच चुके होते।
तो दोस्तों
आज हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे की कैसे उन्होंने अल्लाह के फज़ल से इस्लाम और मुसलमानो
की हिफाज़त की लेहाज़ा आप से गुज़ारिश है की पोस्ट को पूरा पढ़े और अपने दोस्त अहबाब को
भी शेयर करें, ताकि उन तक भी ये पैगाम पहुंचे की किसी के चाहने और ना चाहने से कुछ
नहीं होता, होता वही है जो अल्लाह चाहता है।
मुद्दई लाख
बुरा चाहे तो क्या होता है।
वो ही होता
है जो मंज़ूरे खुदा होता है।
ये वाक़िया है
एक ऐसे इंसान का जो बचपन में ही यतीम होगया। जिसके वालेदैन को मंगोलो ने क़त्ल कर दिया
था। फिर ज़िन्दगी के थपेड़े झेलते हुए मिस्र के बाजार में गुलाम की हैसियत से बिकने आगया।
लेकिन यहाँ भी कोई खरीदार ना मिलता क्यूंकि उनकी आँखे मोतिया बिंदु या किसी बीमारी
की वजह से खराबी थी या एक आँख का कलर दूसरी से जुदा था जो देखने में बहोत बुरा मालूम
होता था।
जिनका
पूरा नाम तवारीख में
अलमलिक अल्ज़ाहिर रुकनुद्दीन बाइबर्स अल बन्दूक़दरी
है जो की तवारीख
साज़ों की माने तो
19 जुलाई 1223
पुराने तुर्की से सटे कोमनिया
नाम के शहर में
पैदा हुए। ( हालाँकि पैदाइश की तारीख को लेकर मुसन्निफ़ों में इख़्तेलाफ़ है लेकिन ज़्यादा
तर इस बात पर इज्मा है की १२२३ ईस्वी में ही पैदा हुए ) और
24 ओक्टोबर 1260 से
1 जुलाई 1277 तक मिस्र
की हुकूमत संभाली, और इस्लाम और मुसलमानो के
दुश्मनो को उनकी औक़ात
दिखा कर लग भाग
ख़त्म कर दिया था।
Photo Source Wikipedia
नाज़रीन वक़्त
की किल्लत के मद्दे नज़र
हम ज़्यदा तफ्सील में नहीं जायेंगे
,इसलिए मुख़्तसर में जब बाइबर्स
बच्चे ( गुलाम भी ) थे
तो उन्हें एक मिस्र के
ऊँचे ओहदे दार अल बन्दूक़दरी ( पूरा
नाम पढ़ने में तकलीफ
होरही है और समझ
भी नहीं पा रहा
इसलिए शार्ट में पेश कर
रहा हूँ ) ने
हामा शहर के बाजार
से अपनी बीवी की
खिदमत के लिए बहोत
ही काम दामों में
ख़रीदा और अपने साथ
मिस्र ले आया।
और किसी वजह से
मिस्र के बादशाह अस्सालीह अय्यूब ने उस
खरीदार को गिरफ्तार कर
लिया,
ये उस दौर की बात है जब चंगेज़ खान की मंगोल फ़ौज अपने वतन से निकल कर दुनिया में अपना तशद्दुद फैला रहे थे और तक़रीबन आधी दुनिया पर अपनी जाबिराना हुकूमत नफीस कर चुके थे। ये जहाँ से गुज़रते उस जगह को पूरा बर्बाद कर देते मर्दों को क़त्ल करके औरतों और बच्चों को अपना गुलाम बना लेते।बाइबर्स भी उन्ही मज़लूमो में से एक था।
और ऐसा कहा
जाता है की मंगोल इस माज़ूर से दिखने वाले बच्चे के मुस्तक़बिल के बारे में जान जाते
तो यक़ीनन उसे पहले ही क़त्ल करचुके होते। क्यूंकि ये ही लड़का आगे चल कर मंगोलो के ज़वाल
का सबब बना।और दुनिया में होने वाली दो सब से बड़ी जंगों में से दो का फातेह कहलाया।
जैसा की मैंने ऊपर बयान किया की किसी वजह से मिस्र के बादशाह ने उस आमिर आदमी को गिरफ्तार कर लिया था। अब इस बच्चे को
इसकी बहन ( यानि उस अमीर
शख्स की जिसने इसे
ख़रीदा था ) दमिश्क़ लगाए
और क्यूंकि उसकी कोई औलाद
ना थी इसलिए उसने
इसे अपनी औलाद तस्लीम
कर बहेतरीन तालीम व तरबियत का
इंतेज़ाम कर दिया और
बचपन ही से ये
बच्चा सिपाह गिरी के फन
में दिलचस्पी रखता था। जिसे सीखने के लिए
इसकी मुँह बोली माँ
ने इसे काहिरा रवाना
कर दिया जहाँ उसे
बादशाह के क़ायम करदा
जंगी तरबियती इदारे सिखाये में दाखला मिल
गया और जंगी व
हर्बी उलूम सिखने लगा।
ये बच्चा अपनी गैर मामूली
ज़हानत, जिस्म की बेजोड़ ताक़त
और अल्लाह की अता करदा
दूसरी सलाहियतों के बाइस जल्द
ही मिस्र की फ़ौज में
शामिल होगया। और अपने हुनर और अल्लाह की मस्लेहत
के तहत जल्द ही फ़ौज में एक आला कमांडर के दर्जे पर फ़ाइज़ होगया।
इसी
दौर में मिस्र के
सुल्तान की किसी बीमारी
के बाइस इंतेक़ाल होगया।
या बहोत से मोवर्रिख़
कहतें हैं की शिकार
के सफर के दौरान
इंतक़ाल हुआ। बहेर हाल
इस बात का फायदा
फ़्रांस के बादशाह ने
उठाना चाहा और एक
बहोत बड़े लश्कर के
साथ मिस्र पर हमला कर
दिय। अब क्यूंकि सुल्तान
मर चूका था। तो
उस फ़ौज क़यादत उसकी
मलिका जिसका नाम सहिजरतुत दर
बताया जाता हैं उसने
की। और इसी जंग
ने बाइबर्स की सलाहियत का
तार्रुफ़ भी करवाया। इस
जंग में सलेबियों को
बहोत बुरी हार हुई।
यहाँ तक के उनके
बादशाह को क़ैद भी
करलिया गया।
मलिका
बाइबर्स के इस शुजाअत
अमेज़ सलाहियत को नज़र अंदाज़
ना कर सकी और
बाइबर्स को फ़ौज का
सिपाह सालार बना दिया। जैसा
की मैंने पहले कहा की
ये वही दौर था
की जब मुस्लिम हुकूमते
तीरा व तार हो
चुकी थी।और सिर्फ चाँद इलाक़े छोड़ दिए जाये
तो सारे मुस्लिम इलाक़ों पर भी मंगोलों की हुकूमत हो चुकी थी। उन्ही इलाक़ों में से एक
था मिस्र और हस्बे मामूल मंगोलों ने यहाँ भी अपना एलची भेजा जिसने एक हक़ीर अल्फ़ाज़ों
से भरा पैगाम मिस्र की मलिका को सुनाया। जिसमे उसने बिना लड़े हथियार डालने का हुक्म
सुनाया जिसका मतलब था की मंगोलों की गुलामी तस्लीम कर ली जाये वरना मिस्र का हाल भी
बगदाद और ख्वारज़म की तरह ही तय हैं।
लेकिन
मलिका ने अपने सिपाह
सालार से मशवेरा किया
तो बाइबर्स इस बात पर
डट गया की चाहे
कुछ भी हो वो
हथियार नहीं डालेगा और
अपनी आखरी सांस तक
लड़ेगा। जिस पर मलिका
को भी बहोत ख़ुशी
हुई और उसने अपने
सारे इख़्तियारात अपने सिपाह सालार
को सौंप दिए की
उसे जंग की तैयारी
करने में कोई परेशानी
नाहो।
और फिर रुकनुद्दीन बाइबर्स
अपने काम में मशगूल
होगया अब सिर्फ जंग
के अलावा कोई मक़सद ना
था। लेहाज़ा उसने हर ख़ास
व आम को मशक़ें
करने का हुकुम नफीस
करदिया यहाँ तक की
ऊँचे से ऊँचे ओहदे
दारों के बच्चे भी
इस जंगी मश्क़ में
हिस्सा लेने लगे।
उधर दूसरी तरफ जैसा की हमने ज़िक्र किया रुकनुद्दीन बाइबर्स बहेतरीन सलाहियतों का मालिक था उसने अपने इलाक़ों से दुश्मनो के जासूसों को ढून्ढ ढून्ढ कर ख़त्म करना शुरू कर दिया। जिसे से की बड़े नुकसान का खतरा हमेशा बना रहता था। और साथ ही होने जासूस की एक टुकड़ी दुश्मनों के मुख्तलिफ इलाक़ों में तैनात कर दी जिस से दुश्मन की नक़ल व हरकत पर नज़र रख सकें।
मंगोल
भी जंग की तैयारी
में मसरूफ थे और जालूत
के मैदान में डेरा जमाय
हुए थे। क्यूंकि मंगोलो
का सरदार हलाकू खान किसी काम
के लिए मंगोल जा
चूका था और उसे
वापिस आने में अभी
वक़्त था। इसका
फायदा उठाते हुए बाइबर्स ने
हमले का इंतज़ार करने
की बजाये खुद आगे बढ़
कर हुम्ला करने फैसला किया
और जालूत के मैदान में
खुद होकर आमने सामने
आगया।
बाइबर्स
ने अपनी फ़ौज को
कुछ इस ढंग से
ट्रेनिंग दी थी के
मंगोल उनकी चालों को
ना समझ सकें और
उनके पाऊँ उखड़ने लगे।
ये पहेली मर्तबा था की कोई
फ़ौज मंगोलों को पीछे धकेल
रही थी। बस फिर
क्या था बाइबर्स की
फ़ौज में जोश का
एक वाल वाला सा
उठ खड़ा हुआ। और
दुश्मनो की दौड़ा दौड़ा
कर क़त्ल करने लगे।
बहोत खून रेज़ी की
जंग में अल्लाह ने
रुकनुद्दीन बाइबर्स को फ़तेह दी
जो की उस खित्ते
में नाक़ाबिले यक़ीन थी।
इस फ़तेह के बाद
बाइबर्स की फ़ौज का
जोश सातवे आसमान पर था। और
हो भी क्यों ना
की ज़ए उस फ़ौज
को शिकस्त दे चुके थे
जो अपने आप को
फातेह दुनिया कहलवाया करते थे। जिन
से लड़ने की बात
तो दूर लोग इनके
सामने आने से भी
डरते थे।
इसके
बाद बाइबर्स यही ना रुका
और फिलिस्तीन से लेकर दमिश्क़
तक के इलाक़े मंगोलों
से खली करने लगा
ये के बाद दीगर
उसकी फ़ौज मंगोलो का
सफाया करती जारही थी।
और फिर शायद मलिका
के बाद वहां की
अव्वाम ने रुकनुद्दीन बाइबर्स
को ही अपना सुल्तान
चुन लिया ( यहाँ अँगरेज़ तवारीख
सांजो में इख़्तेलाफ़ हैं
कुछ लोगो का कहना
हैं की फ़ौज में
बढ़ती हुई शान और
अपने वफादार ज़्यदा होने के बाइस
रुकनुद्दीन खुद बादशाहत के
मनसब पर जा बैठा
वगैरा )
बहेर
हाल सुल्तान बन ने के
बाद सुल्तान रुकनुद्दीन ने सब से
पहले मंगोलों ने जो खिलाफते
अब्बासिया ख़तम की थी
उसे वापिस क़ायम किया। और
आखरी खलीफा के बेटे को
ढून्ढ कर उसे काहिरा
लाया गया जहाँ सारे
लोगो ने उसकी बैत
की। अब इसके बाद
बाइबर्स को मंगोलों का
सफाया करने किसी ताक़त
वर इत्तेहादि की ज़रूरत थी।
जैसा की बताया जाता
हैं की उस ने
बरखा खान से इत्तेहाद
कर लिया जो की
नस्ल से एक मंगोल
ही था पर ईमान
की दौलत से सरफ़राज़
हो चूका था। और
अब खुद मंगोलों से
लोहा ले रहा था।
और दोनों ने मिलकर मंगोलों के इखतताम की शुरुवात करदी। इधर तुर्क भी अब अपने उरूज की तरफ बढ़ रहे थे। और उन्होंने भी अपनी पूरी ताक़त सलीबी और मंगोलों को पस्त करने में झोंक दी जिसका असर ये होना शुरू हुआ के मंगोलों के हौसले पास्ट होना शुरू होगये।
क्यूंकि ये चिंगारी बाइबर्स नामी मुसीबत से शुरू हुई थी , इसलिए फ़्रांस और दीगर मुल्कों ने यानि पुरे योरोप ने एक बहोत बड़े लश्कर के साथ बाइबर्स की रियासत पर हमला करने की निय्यत से मैदान में उतारी अब तो बाइबर्स को इंतज़ार ना करने की आदत हो चुकी थी और हमेशा की तरह उसने रूमियों पर सामने से हुम्ला करके ऐसी शिकस्त दी की दोबारा पूरे योरोप की आँख उठाने की हिम्मत ना हुई।
और फिर इसी शान व शौक़त के साथ इस मर्दे मुजाहिद ने 1 जुलाई 1277 को इस दारुल फनी से दारुल बक़ा की तरफ हिजरत करली। हालाँकि मौत की वजह को लेकर बहोत से इख़्तेलाफ़ है। कोई कहता है की ज़हर देने की वजह से हुई। कोई कहता है की जंग के दौरान किसी ज़ख्म से मौत हुई वगैरा वगैरा। सुल्तान रुकनुद्दीन बाइबर्स की मज़ार दमिश्क़ में मौजूद है।
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