Gog and Magog | Yajooj and Majooj | Yajooj Majooj Ki Dewar Kahan Hai Aur Kitni Gir Chuki Hai? | all of Gog Magog - Qayamat Ki Nishaniyan
بِسۡمِ اللّٰہِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِیۡمِ
अस्सलाम अलैकुम दोस्तों
नाज़रीने
करम वैसे तो क़यामत
की बेशुमार निशानिया हमारे हुज़ूर मुहम्मद मुस्तफा स्वल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अहादीस के
तौर पर हमे अता की हैं और क़ुरान
में भी बार है
इसे हम तक पहुंचाया
गया है। उन्ही बड़ी
निशानियों में से एक
निशानी है याजूज माजूज
की क़ौम का इस
सर ज़मीन पर फिसाद
बरपा करना जिसको हरा
सकने की ताक़त अल्लाह
ने किसी को नहीं
दी।
तो नाज़रीन आजकी इस पोस्ट
में हम बात करने
वाले हैं की कोण
है ये याजूज माजूज
? ये कब ज़हूर पज़ीर
होंगे ? अभी इस वक़्त
ये कहाँ हैं ? और
उन्हें किसने क़ैद किया हुआ
हैं ?
लेहाज़ा
पोस्ट को पूरी ज़रूर
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ज़रूर करें
Who is Yajooj and Majooj in Islam?-Yajooj and Majooj
याजूज
माजूज का ज़िक्र इल्हामी
किताबों में इस तरह
है की इस खून
ख्वार मख्लूक़ को हज़रत ज़ुलक़रनैन
अलैहिस्सलाम ने किसी नामालूम
जगह दिवार तामीर कर के क़ैद
कर दिया और बाक़ी
दुनिया से उनका राब्ता
ख़त्म कर दिया था,
लेकिन क़यामत से पहले ये
क़ौम अल्लाह की मर्ज़ी से
इस दिवार में शगाफ़ करने
में कामयाब हो जायेंगे, और
ये जहाँ से भी
गुज़रेंगे उस जगह को
नेस्त नाबूद करते गुज़रेंगे या
पूरी तरह बर्बाद कर
देंगे।
इसी असना में
ये क़ौम फिलिस्तीन की
एक झील के पास
पहुंचेंगे। इस झील का
नाम तिब्रिया है जिसका ज़िक्र
किताबों में भी मौजूद
है। और ये उसका
सारा पानी पी जायेंगे
और उसके पीछे जब
उनका आखरी गिरोह यहाँ
पहुंचेगा तो उन्हें एक
क़तरा भी नसीब ना
होगा और वो कहेंगे
या सोचेंगे की क्या कभी
यहाँ पानी हुआ करता
था?
तिब्रिया आज
के दौर में इजराइल
के एक शहर का
नाम है और ये
झील भी यहीं मौजूद
है। ये इजराइल मीठे पानी की झील
है। जो 21 किलोमीटर
लम्बी और13 किलोमीटर
चौड़ी है 43 मिटेर
गहरी है। आज इजराइल
अपनी इस झील को
सब से मोअत्तबर समझ
रहा है, दर असल
येही याजूज माजूज की मंज़िले मक़सूद
है। और इसका ज़िक्र
क़ुरान मजीद में भी
है।
Where are Yajooj Majooj located?-Yajooj Majooj Ki Dewar Kahan Hai Aur Kitni Gir Chuki Hai?
अब आपके ज़हन में
एक सवाल उठ रहा
होगा की ये कौम
जिसे हम याजूज माजूज
कहते हैं, ये हैं
कौन और इस वक़्त
कहाँ हैं? तो क़ुरान करीम
की सूरह कहफ़ भी
मौजूद है। और बहोत
से मुफ़स्सेरीन ने इस बारे
में बहोत सी हिकायत
अपनी किताबों में लिखी हैं।
उनका
कहना है की हज़रत
ज़ुलक़रनैन सफर करते हुए
एक जगह जा पहुंचे।
जहाँ लोग इन याजूज
माजूज के फिसाद से
परेशान थे। कुछ मुफ़स्सेरीन
का मानना है की वो
जगह अज़रबैजान और अर्मेनिया के
नज़दीक है जो एक
पहाड़ी इलाक़ा है। ऐसा माना जाता
है की दो पहाड़ों
के दरम्यान एक जगह है
जहाँ से एक क़ौम
नुमूदार होकर सारे खेत
खलियान तबाह कर देती
और जो उस खित्ते
में आबाद थे उन्हें
क़त्ल करतें और गुलाम बना
कर अपने साथ लेजाते,
हालाँकि उस जगह को
लेकर मुफ़स्सेरीन और मुहक़्क़ेक़ीन में
इख़्तेलाफ़ है। बहेर हाल
असल जगह का इल्म अल्लाह
ही को और उसके
रसूल स अ, है।
लेकिन क़ुरान की गवाही से
हम यक़ीन रखते हैं
की क़यामत के पहले ये
ज़ाहिर ज़रूर होंगे।
खैर जब वहां के लोग हज़रत ज़ुलक़रनैन अलैहिस्सलाम मिले तो अर्ज़ करने लगे की क्या हम आपको कुछ रक़म जमा कर के दें, की आप हमारे और उनके दरमियान कोई रुकावट बनादे ये क़ौम याजूज माजूज कहलाती हैं। जिसका ज़िक्र अल्लाह तबारक तआला क़ुरान मजीद सूरेह कहफ़ आयात नंबर ९४ में इरशाद फरमाता है कीउन्होंने कहा, ए ज़ुलक़रनैन ! बेशक याजूज माजूज ज़मीन फिसाद मचाते हैं। तो क्या हम आपके लिए माल मुक़र्रर करदें ? इस पर के आप हम में और उनमें एक दिवार बनादे।
हज़रत
ज़ुलक़रनैन ने जवाब दिया
: वो जिस पर मेरे
रब ने मुझे काबू
दिया है बहेतर है
लेहाज़ा तुम मेरी मदद ताक़त से
करो मै तुम में
और उनमे एक मज़बूत
आड़ बनादु।
मेरे
पास लोहे के तख्ते
लाओ जिसे हज़रत ज़ुलक़रनैन ने दोनों पहाड़ों के
दरमियान बराबर खड़ा कर दिया।, अब
कहा इसे धुनको और
इतना गरम करो की
आग की मानिंद होजाये
, यहाँ तक की जब
इसे आग कर दिया
, कहा लाओ मै इस
पर गला हुआ ताम्बा
उंडेल दूँ। ताकि ये
दिवार मज़बूत बन जाये और इसकी चिकनाहट
के सबब याजूज माजूज
इस पर चढ़ ना
सकें, और ना उसमे सुराख़
कर सके।
इस तरह ये एक
ऐसी दिवार बन गयी की
याजूज माजूज की क़ौम ना
इस पर चढ़ सकती
थी और नाही इसमें
शगाफ़ कर सकती थीं।
तामीर के बाद
हज़रत ज़ुलक़रनैन ने कहा ये
मेरे रब की रहमत
है , फिर जब मेरे
रब का वादा आएगा
इसे पाश पाश कर
देगा, और मेरे रब
का वादा सच्चा है।
लेहाज़ा तब से अब तक याजूज माजूज इस में लगे है की किसी तरह इस दिवार में सुराख़ कर दूसरी दुनिया के इंसानो से जा मिले।
मुफ़स्सेरीन का मानना है की हज़रत ज़ुलक़रनैन ने जिन पहाड़ों के बीच ये दिवार क़ायम की थी कॉकेशियन माऊंटेन है जो दो समुंदरों यानि बहेरे असवत और कैस्पियन सी तक ये सिलसिला फैला हुआ है। और इस पहाड़ी सिलसिले में एक जगह बहोत ही बुलंद तरीन पहाड़ है इनके बीच वो वाहिद रास्ता है जहाँ से आ या जा सकतें हैं। लेकिन ये रास्ता मुकम्मिल तौर पर बर्फ से ढका हुआ है। और और आजकी जदीद साइंस के मुताबिक इसके अंदर बहोत तादाद में ताम्बा और लोहे जैसी धानतें मौजूद है।
और हमे क़यामत की
निशानियों वाली हदीसों से
भी पता चलता है
की आप स्वल्लाहो अलैहि
वसल्लम ने इशारात दिए
की जब क़ुर्बे क़यामत
का ज़माना आएगा तो उस
वक़्त ये दीवार गिर
जाएँगी और ये ज़ालिम
क़ौम जिसे हम याजूज
माजूज कहते हैं दुनिया
में फ़ैल जाएगी ये
जहाँ से भी गुज़रेंगी
तबाही फैलाएगी और सारी मख्लूक़
को अपने शर व
फसाद का निशाना बनाएंगी।
What will Yajuj and Majuj do?- Qayamat Ki Nishaniyan
और उनका ये गिरोह
जब भागता हुआ तिब्रिया झील
के क़रीब पहुंचेगा तो
उसका सारा पानी पी
लेगा और यहाँ तक
की जब उनका आखरी
गिरोह वह उस जगह
पहुंचेगा तो कहेगा की
क्या कभी यहाँ पानी
हुआ करता था?
ये तिब्रिया झील आज इजराइल
का सब से बड़ा
पीने के पानी का जरिया
है जिसका ज़िक्र तौरात और इंजील में
भी आया है। और
मुख्तलिफ अहादीस में इस झील
के पानी का तेज़ी
से काम होना इस
बात की तरफ इशारा
है की याजूज माजूज
के आने का वक़्त
क़रीब है।
और रिवायतों में आता है
की ये फीसादी क़ौम
इसी झील के रास्ते
बैतूल मुक़द्दस पहुंच कर ये एलान
करेंगे की दुनिया पे
हमने फ़तेह पा ली।
इसके
बाद अल्लाह इनकी गर्दनो में
एक कीड़ा पैदा कर
देगा जिस वजह से
इन सारी क़ौम की
मौत वाकई हो जाएगी
और इस ज़मीन पर
ऐसी कोई जगह ना
होगी जो इनकी लाशों
से खाली होंगी।
फिर
इसके बाद अल्लाह बारिश
भेजेगा और अपने करम
से सारी ज़मीन को
साफ व शफ़्फ़ाफ़ कर
देगा। फिर
हज़रत इसा अलैहिस्सलम जो
की इस वक़्त अपने
मानने वालों के साथ एक
पहाड़ी पर पनाह लिए
होंगे वो ज़मीन पर
वापिस उतर आएंगे और
हर तरफ खुश हाली
होगी।
हालाँकि
नाज़रीन ये वाक़िया जब
पेश आएगा उस पहले
इमाम मेहँदी का ज़हूर हो
चूका होगा और हज़रत
ईसा अलैहिस्सलाम का नुज़ूल भी
हो चुका होंगा। और
फ़ितने दज्जाल का भी आप
ईसा अलैहिस्सलाम के हांथों खात्मा
हो चुका होंगा। और
अब सिर्फ इंतज़ार होगा सुर के
फूंके जाने का।
नाज़रीन
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ऐसे ही किसी नय
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रक्खें दुआ में याद
रक्खें अल्लाह हाफिज
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