After 2023? 2023 के बाद?
इस्लामिक
वंडर्स के नाज़रीन 2023
एक ऎसे आदाद है
जिसे सुन कर या
सोच कर इंसान का
तजस्सुस बढ़ जाता है
की आखिर इस आने
वाले साल में हमे
और क्या कुछ देखने
को मिलेगा?
तो नाज़रीन आज हम इसी
टॉपिक पर बात करेंगे
की इस साल ऐसा
क्या होने जा रहा
है जो दुनिया भर
के इंसान इस तरफ टकटकी
लगाए बैठे हैं। चाहे
अमेरिका हो या चाइना,
टर्की हो या इजराइल,
या फिर इंडिया हो
या पाकिस्तान, कम व बेश
हर मुल्क में कुछ ना
कुछ बदलने वाला है।
लेहाज़ा पोस्ट
को आखिर तक लाज़मी
पढ़े पसंद आने की
सूरत में कमेंट करना
भूले और अपने दोस्त
अहबाब को भी शेयर
करें।
मैं
मोहम्मद हुसैन खान एक मर्तबा
फिर आपका इस्तेकबाल करता
हूँ अपने इस वेबसाइट
इस्लामिक वंडर्स में।
नाज़रीन
यक़ीनन 2023 एक ऐसा
साल होगा जो दुनिया
को मुख्तलिफ लेहाज़ से बदल कर
रख देगा। फिर चाहे वो
टेक्नोलॉजी हो या सियासत,
या मोआशियात, या फिर ज्योग्राफिकल
एरिया हो , या फिर
मज़हबी पॉइंट ऑफ़ व्यू। जिसे
हम आम लफ़ज़ों में अगर
समझे तो हर लेहाज़
से दुनिया का नक़्शा बदल
जायेगा।
तो नाज़रीन जानते हैं कैसे
नाज़रीन
यक़ीनन 2023 एक ऐसा
साल होगा जो दुनिया
को मुख्तलिफ लेहाज़ से बदल कर
रख देगा। फिर चाहे वो
टेक्नोलॉजी हो या सियासत,
या मोआशियात, या फिर ज्योग्राफिकल
एरिया हो , या फिर
मज़हबी पॉइंट ऑफ़ व्यू। जिसे
हम आम लफ़ज़ों में अगर
समझे तो हर लेहाज़
से दुनिया का नक़्शा बदल
जायेगा।
2023 के बाद तुर्की क्या करेगा?|What will Turkey do after 2023?
बहेर हाल हम
अपने मामूल के मुताबिक सिर्फ इस्लामी दुनिया में होने वाले असरात पर बात करेंगे। तो
नाज़रीन इस मौज़ूं पर हम बात करे तो सरे फहरिस्त नाम आता है तुर्की का, जो की आप सभी
जानते हो की पहेली आलमी जंग के खात्मे पर तुर्की से किये गए लॉज़ॉन मुहाएदा इस आने वाले
जुलाई 2023 को ख़त्म हो जायेगा। जिसकी वजह से तुर्की अपने माज़ी के तौर तरीकों की बजाय
एक मज़लूम की हैसियत से ज़िन्दगी बसर करने पर मजबूर था।
Treaty of Lausanne!लॉज़ॉन एग्रीमेंट! What is the lausanne agreement? लॉज़ेन समझौता क्या है?
जिन नाज़रीन
को इस बारे में नहीं मालुम उनके लिए मुख़्तसरान बतादूँ, की जब 1923 में पहेली आलमी जंग
का इखतताम हुआ तब बर्तानिया ने अपने हलीफ़ों के साथ मिलकर तुर्की से एक एग्रीमेंट करवाया
जिसको मुहाएदा लॉज़ॉन जिसके ज़रिये तुर्की को मजबूर किया गया की वो अपनी सरहद में बंद
हो जाये इसके अलावा कुछ बहोत ही खतरनाक शर्तें रक्खी जो की अगले 100 सालों के लिए नाफ़िज़
करदी गयी। वो शर्तें फ्रेंच ज़बान है और आज
भी फ्रांस के पास वो मौजूद है जिसे उन्होंने संभल के रखा हुआ है। खैर उस मुहाएदा में
जो अहेम चीज़ें हैं वो 4 हैं और वो शर्तें क्या थी?
पहेली
ये की
खिलाफ़तें उस्मानिया ख़त्म करदी जाय। और उनके जो जानशीन थे किसी को क़तल किया गया, किसी
को जिला वतन किया गया या जिसे हम हिंदी में देश निकला भी कहते हैं।
दूसरी
ये की
तुर्की एक सेक्युलर मुल्क रहेगा, यहाँ स्पेशली इस्लामी रिवायात पर पाबन्दी लगादी गयी।
कोई शख्स ख़ास कर इस्लामी तब्लीग नहीं कर सकता। अज़ान मन्ज़रे आम पर नहीं पढ़ सकते, हिजाब
पर पाबन्दी वगैरा।
तीसरी
ये की
तुर्की अपनी ही ज़मीन से पेट्रोल या तेल नहीं निकल सकता चाहे कितना भी भण्डार उसकी ज़मीन
में मौजूद हो। और तो और दूसरे किसी मुल्क में भी ड्रीलिंग नहीं कर सकता। उसे अगले 100 सालों तक सिर्फ दूसरों से खरीदना पड़ेगा।
चौथी
ये की
फास्फोरस समंदर की जो बंदरगाह है। जो की तिजारती एतेबार से रीढ़ की हड्डी मानी जाती
है। वहां से गुजरने वाले किसी जहाज़ से टैक्स नहीं वसूल करेगा। यहाँ से कोई भी अपना
तिजारती सामान लेकर आ जा सकता है। और अगले 100 सालों तक ये बैनुल अक़वामी मिलकियत होगी
तुर्की का इस पर कोई हक ना होगा।
ये एग्रीमेंट
अगले 100 सालों के लिए वैलिड था और तुर्की किसी तरह भी इसकी ख़लीफ़ वर्ज़ी नहीं कर सकता।
What happens when Treaty of Lausanne ends?क्या होगा जब लॉज़ॉन एग्रीमेंट 2023 में ख़त्म होगा?
अब जबकि 100
साल खत्म होने वाले है तो ज़ाहिर से बात है तुर्की सबसे पहले अपने आप को मज़बूत करेगा।
जिसके लिए वो ड्रिलिंग शुरू करेगा और तेल पेट्रोल निकल कर खुद की ज़रूरत पूरी करेगा
और साथ ही दुनिया को भी बेचेगा। साथ ही फास्फोरस समंदर की बंदरगाह पर नाका या जिसे
टैक्स लगाएगा। जिस से उसकी
आमदनी में बेहद इज़ाफ़ा होने के चांसेस है। जिसका मतलब है तुर्की पहले से और ज़्यादा मज़बूत
होगा।
अब आपके ज़हन में
एक सवाल गर्दिश कर
रहा होगा की इस
से आलमे इस्लाम को
क्या नफा व नुकसान
है?
तो नाज़रीन आपको पता होगा
की सल्तनते उस्मानिया अपने दौर में
मुसलमानो की रहनुमाई करती
थी, आखरी खिलाफत भी
यहीं क़ायम थी जिसे
खिलाफते उस्मानिया भी कहते हैं।
और आपने बारहा देखा
होगा की जब भी
कहीं मुसलमानो को तकलीफ पहुंचती
है। तो सब से
पहले तुर्की ही आवाज़ उठती
है। चाहे फिलिस्तीन हो
, या मुल्के शाम हो , या
फिर मियांमार हो। जिसका मतलब
है की तुर्की फिर
से इस्लामी दुनिया की क़यादत करने
तैयार है। जो की
इस्लामी दुश्मनो को शायद बर्दाश्त
नहीं होगा।
और ये सब हत्तल
इमकान कोशिश करेंगे को तुर्की दुबारा
इस
मक़ाम को हासिल ना
कर सके। और इसके
लिए वो हर हर्बे
इस्तेमाल करेंगे।
दूसरी बात तुर्की
को मक्का मुअज़्ज़मा
और मदीना मुनव्वरा के देख भाल
का शरफ़ भी हासिल
था। वहां के सारे
इन्तेज़ामात तुर्की ही के ज़िम्मे
थे।
जिसके
दोबारा मिलजाने की हसरत लिए
वो आज भी रो
रो कर अल्लाह से
दुआ करतें हैं की अल्लाह
हमसे अपनी नाराज़गी दूर
करले और फिर से
हमे वो सआदत नसीब
करदे। और आले सऊद भी इसके इम्पोर्टेंस से अच्छी
तरह वाक़िफ़ है। क्यूंकि वो काफी अच्छी तरह जानते हैं की उनकी अज़मत आलमे इस्लाम में इन्ही
दो मुक़द्दस शहरों की वजह से है। ना के उनकी दौलत की वजह से।
इसीलिए
आले सऊद ये क़तई
नहीं चाहेगा की ये बात
या ख्वाहिश किसी के गुमान
में भी आये कि
ये इंतेज़ाम दोबारा तुर्की के पास चले
जाये। जिसके लिए उसने इजराइल और अमेरिका जैसे
कट्टर इस्लाम की मुख़ालेफ़त करने वाले मुल्कों को अपना हलीफ़ बना रख्खा है। और गुज़िश्ता
कुछ महीनो से खुल कर इसका एलान भी कर रहे हैं। फिर चाहे UAE का इजराइल से किया गया
एग्रीमेंट हो या सऊदी का तुर्की को बायकाट जो कि हालिया दिनों में सऊदी के बड़े लीडर
ने ट्वीट करके ज़ाहिर किया।
नाज़रीन
यक़ीनन ये इस्लाम के
लिए बहोत नुकसान दे
साबित होने वाला है।
क्यूंकि इस्लामी मुमालिक की आपस में
ये कशीदगी का फायदा इजराइल
और अमेरिका जैसे मुल्क ज़रूर
उठाएंगे।इन सारे मुमालिक को जो
चीज़ सबसे ज़्यादा परेशान कर रही है वो खिलाफत ,की अगर तुर्की ने फिर से खिलाफत को क़ायम
कर दिया तो ? तो लग भग सारी दुनिया के कम से
कम 50% से ज़्यादा मुस्लमान इस की ताईद में उतर आएंगे। और इसका असर दुनिया खिलाफते उस्मानिया
के दौर में देख चुकी है।
What is going to change in the world in 2023? 2023 में दुनिया में क्या बदलाव होने जा रहा है?
दोस्तों अब
जो बात सब से ज़्यादा क़ाबिले गोर है। की शायद आप को याद होगा हाल ही में कुछ दिनों पहले
इजराइल के नाम व निहाद आलिम ने एक स्पीच में कहा था की ये जो महामारी दुनिया में चल
रही है जो की चीन से निकली है इसका ख़ात्मा इनके आने वाले रहनुमा करने वाले है। अब ये
बात तो रोज़ ए रौशन की तरह ज़ाहिर है की इनका रहनुमा कौन है (दज्जाल ) और ये कब आने वाला
है जब की ये थर्ड टेम्पल तामीर ना करले।और जैसा की मैंने अपने पिछले वीडियो में बयां
किया था की ये थर्ड टेम्पल उसी जगह बनाने का इरादा रखते हैं जहाँ आज मस्जिदे अक़्सा
वाक़ई है.
जिसका
सीधा मतलब ये निकलता
है की ये लोग
अपनी पूरी तैयारी कर
चुके है। और इस
बात को भी कोई
नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता
की उन्हें 2023 से अच्छा
मौक़ा नहीं मिलेगा। क्यूंकि
ये इस्लामी लेहाज़ से दो बड़े
मुल्क सऊदी अरब और
तुर्की की कशीदगी का
फायदा उठा कर उम्मते
मुस्लिम को दो ग्रुप्स
में बांटने की कोशिश करेंगे।
ये पूरी तरह से
सियासत की लड़ाई को मज़हबी
लड़ाई में तब्दील करेंगे।
और मुझे भी लगता
है की आने वाले
वक़्त में दुनिया के
मुस्लिम दो ग्रुप्स में
बट जायेंगे एक सुन्नी मुस्लिम
जो की सीधे तौर
पर तुर्की के साथ जाते
दिखाई दे रहे हैं। और दूसरी
तरफ बाकी बचे फ़िरक़े
जो आले सऊदी के
साथ मुहब्बत रखते है।
दूसरी तरफ अमेरिका
जिसको सुपर पॉवर होने का एज़ाज़ हासिल है,अपने
ज़वाल के क़रीब दिखाई दे रहा है। और उसके कॉम्पिटिटर
की शक्ल में चाइना सामने दिखाई दे रहा है। अमेरिका ये नहीं चाहेगा की उससे उसका सुपर
पावर होने का एज़ाज़ कोई छीन ले जिसके लिए वो हर वो चीज़ करने से गुरेज़ नहीं करेगा जो की हक़ीक़तन इंसानियत
के खिलाफ है।
Source Of photo Sharecast.com
जिस से की एशिया
में तनाज़े बढ़ने के इमकान का कोई इंकार नहीं कर सकता। और उसे भी 2023 से अच्छे मौके नहीं मिलेंगे।
इंडिया और पाकिस्तान
की बात करे तो २०२३ में यहाँ फिर से इलेक्शन होने वाले है।अब आप बा खूब ही समझ सकते
हो की दोनों मुल्को की अव्वाम को किस खदशात
का सामना करना पड़ सकता है।
इनके इलावा
रूस, फ्रांस, ब्रिटेन,सीरिया,मिस्र हर जगह ही कशीदगी पैदा होने के आसार है। और डर है।
पिछली आलमी जंगो की तरह फिर से दुनिया दो ग्रुप्स में ना बट जाये जो अभी से दिखाई दे
रही है एक तरफ चाइना पाकिस्तान तुर्की ईरान रूस जैसे बड़े मुल्क है तो दूसरी तरफ अमेरिका
इजराइल ब्रिटेन इंडिया सऊदी अरब जैसे मुल्को का ग्रुप बनते दिख रहा है। और जो मुल्क
अभी इसमें नज़र नहीं आरहे है उन्हें भी किसी ना किसी ग्रुप को जॉइंट करना ही पड़ेगा।
इस बार वो अलग नहीं रहे पाएंगे।
दोस्तों अल्लाह
करे की मेरे सारे खदशात गलत साबित हो। ये सब बेकार बाते हो जिसका हक़ीक़त से कोई तालुक
ना हो क्यूंकि नाज़रीन ए करम अल्लाह
के इलावा ये तो कोई
नहीं जानता की आने वाले
वक़्त में क्या होने
वाला है। या तो
इस्लामी उरूज देखने को
मिल सकता है या
हमे और ज़्यादा तकलीफों
का सामना करना पड़ सकता
है। बाहेर हाल इस वीडियो
के ज़रिये हम कोशिश कर
रहें है की कम
से कम हम
आगाह तो रहे की
दुनिया में क्या हो
रहा है। हमे करना
कुछ नहीं है सिर्फ
ईमान का दामन थामे
रखना है। और कोशिश
करनी है की चाहे
कुछ भी अपनी मौत
तक इस पर क़ायम
रहेंगे इंशा अल्लाह।
***End***
इसे भी पढ़े
1
आखिर तलवार हाथ मे लेकर खुतबा पढ़ने का मकसद क्या था ? (फ़तैह बैतूल मुकद्दस) (Jerusalem)
2
3
TABOOTE SAKINA KYA HAI? | YAHUDI TABOOTE SAKINA KYU DHOOND RAHE HAIN | TABOOT E SAKINA
4
अगर ये इंसान पैदा न होता तो शायद मुस्लिम 12वी सदी में ही ख़त्म होगये होते! | सुल्तान रुकनुद्दीन बाइबर्स | Sultan Ruknuddin Baybars | Sultan Bibers
अगर आप इस्लाम से रिलेटेड आर्टिकल्स पढ़ने का शौक़ रखते हैं तो आर्टिकल्स भी पढ़े
मुसलमानों के उरूज का वक़्त करीब है
इजराइली झंडे की हकीकत | और तुर्को का जवाब
डिस्क्लेमर : तमाम जानकारी इंटरनेट और दीगर हिस्ट्री सोर्स से ली गयी है। इसके सच होने का हम दावा नहीं करते।
Disclaimer: All information is taken from the Internet and other history sources. We do not claim to be true.
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.